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न्यायालय में नकदी विवाद: लोकसभा स्पीकर ने न्यायाधीश वर्मा के खिलाफ जांच समिति बनाई

मोहित गौतम (दिल्ली) :  सुप्रीम कोर्ट द्वारा कि गई जांच में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से बड़ी मात्रा में जल चुकी और आंशिक रूप से जली नकदी की पुष्टि हुई थी। इस रिपोर्ट के आधार पर, 146 सांसदों द्वारा महाभियोग प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था। लोकसभा स्पीकर ने इसे स्वीकार करते हुए एक तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। इस समिति में शामिल हैं: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, तथा कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ अधिवक्ता। समिति को संविधान की धारा 124(4) के अंतर्गत साजिश और गंभीर कदाचार की जांच करने का अधिकार प्राप्त है। वे गवाहों से पूछताछ कर सकेंगे और अपनी रिपोर्ट लोकसभा में पेश करेंगे, जिसके आधार पर सदन बहस कर आचरण पर निर्णय ले सकेगा। इन-हाउस जाँच और सुप्रीम कोर्ट की स्थिति मार्च में हुई आग लगने की घटना के दौरान मिली नकदी की सदिशता, उसमें वर्मा का अप्रत्यक्ष या सक्रिय नियंत्रण — इन निष्कर्षों को सुप्रीम कोर्ट ने पुष्ट किया था। न्यायालय ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए सिफ़ारिश की। वर्मा ने इन निष्कर...

उत्तर प्रदेश पत्रकार हत्याकांड: तीन घंटे में दो आरोपी शूटरों की मुठभेड़ में मौत

मोहित गौतम (दिल्ली) :  उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित महोली इलाके में कार्यरत पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की हत्या को लेकर हाल ही में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। मार्च महीने में बदमाशों ने ओवरब्रिज पर उन पर गोलियां चलाकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था। अधिकारी अब बताते हैं कि आरोपी पत्रकार की हत्या के तीन घंटे के भीतर ही दो मुख्य शूटरों की मुठभेड़ में मौत हो गई। यह कार्रवाई पिसावां मार्ग पर की गई। पत्रकार की हत्या की गुत्थी राघवेंद्र, एक स्थानीय हिंदी दैनिक से जुड़े पत्रकार और सूचना अधिकार (RTI) से जुड़े सक्रिय कार्यकर्ता थे। वे प्रति रिपोर्ट्स में चावल की खरीद, स्टाम्प ड्यूटी में अनियमितताएं और जमीन घोटाले जैसी नीतिगत गड़बड़ियों को उजागर करते थे। पुलिस के अनुसार, इससे प्रभावित कुछ लोग उनकी हत्या की साजिश रची। बाइक सवार दो हमलावरों ने उन्हें वारदात स्थल पर पहले टक्कर मारी, फिर तीन गोलियां मारीं, जिससे उनकी मौत हो गई। घटना के ठीक बाद एसटीएफ की टीम गठित की गई और पुलिस ने कई संदिग्धों को हिरासत में लिया। जांच में पता चला कि एक मंदिर के पुजारी और उनके दो साथियों ने राघवेंद्...

भाजपा ने राज्यसभा में फिर दूसरी बार 100 की सीमा पार की; संख्या पहुंची 102 पर

मोहित गौतम (दिल्ली) :  हाल ही में राष्ट्रपति द्वारा नामित किए गए तीन नए Rajya Sabha सांसदों के साथ अब भाजपा की संख्या उच्च सदन में 102 पहुंच गई है। इनमें प्रतिष्ठित वकील उज्ज्वल निकम, पूर्व राजनयिक हर्षवर्धन शृंगला और सामाजिक कार्यकर्ता सदानंदन मास्टर शामिल हैं। इन तीनों नामांकित सदस्यों ने पार्टी की सदस्यता स्वीकार कर ली, जिससे भाजपा दूसरी बार 100 से ऊपर पहुंची। पूर्व में अप्रैल 2022 में भाजपा पहली बार राज्यसभा में सौ के आंकड़े को पार कर गई थी। लेकिन कुछ समय बाद सदस्य संख्या में उतार-चढ़ाव आया, और दुबारा सौ के पार पहुंचने में समय लगा। वर्तमान में उच्च सदन में भाजपा का दल 102 सदस्यीय हो गया है, जिसमें पांच नामांकित सदस्यों का भी योगदान शामिल है। राज्यसभा में कुल 245 सदस्यों में से 233 सदस्यों का चुनाव विधानसभाओं द्वारा होता है, जबकि 12 सदस्यों को राष्ट्रपति नामित करते हैं, और इनमें से कई को भाजपा की ओर से समर्थित माना जाता है। इसके अलावा NDA सहयोगी दलों समेत भाजपा की स्थिति 133 सांसदों तक पहुंच गई है, जिससे संसदीय दीर्घकालीन विधेयकों की मंजूरी में समर्थन बढ़ने की उम्मीद है। इसस...

दिल्ली सरकार नए सचिवालय के लिए क्षेत्र तलाशेगी; सभी विभाग एक ही छत के नीचे स्थानांतरित होंगे

मोहित गौतम (दिल्ली) :  दिल्ली के मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घोषणा की है कि दिल्ली सरकार जल्द ही एक नया सचिवालय बनाएगी जहां सभी विभाग एक ही भवन में कार्य करेंगे। यह निर्णय राज्य में पुराने और बिगड़ते सरकारी कार्यालयों की वर्तमान स्थितियों को देखते हुए लिया गया है। खासकर महिलाओं एवं बाल विकास विभाग के कार्यालय का हाल बेहद खस्ता बताया गया—जिसमें छत से पानी रिसाव, टूटी फर्नीचर और फायदेमंद ढंग की कमी जैसे गंभीर परेशानियों के बीच अधिकारी कार्य करते थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे हालात में अधिकारी सुरक्षित तरीके से काम नहीं कर सकते। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रयोजन हेतु उपयुक्त स्थान की पहचान की जाए, जहां सभी विभाग सुगठित और सुव्यवस्थित तरीके से संचालित हो सकें। दिल्ली सचिवालय, जो वर्तमान में आईपी-एस्टेट स्थित इंडियन स्टेडियम के पास नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में फैला हुआ है, उसमें कई मंत्रालयों के अलावा कई अन्य विभाग भी कार्यरत हैं। पिछली सरकार पर निशाना और पुरानी योजनाओं का उल्लेख मुख्यमंत्री ने उल्लेख किया कि पूर्व की सरकार जशनी परियोजनाओं पर खर्च में व्यस्त थी, जबकि बुनियादी मरम्मत कार्यों...

2008 मालेगांव ब्लास्ट केस: सभी आरोपी सबूतों के अभाव में बरी, पीड़ित परिवार जाएंगे हाईकोर्ट

मोहित गौतम (दिल्ली) :  सत्रह साल पहले महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए विस्फोट मामले में विशेष एनआईए अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। इनमें एक महिला सांसद और सेना के पूर्व अधिकारी समेत वे लोग शामिल हैं जिन पर धमाके की साजिश, हत्या और आतंकवाद फैलाने के आरोप लगे थे। अदालत का कहना है कि अभियोजन पक्ष ठोस और भरोसेमंद साक्ष्य पेश नहीं कर पाया, इसलिए संदेह का लाभ देते हुए आरोपियों को दोषमुक्त किया जाता है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक़, धमाके के लिए इस्तेमाल हुई बाइक के मालिकाना हक, विस्फोटक सामग्री की खरीद और साजिश में शामिल होने को लेकर भी पर्याप्त सबूत सामने नहीं आए। अदालत ने माना कि धमाके में छह लोगों की मौत और कई घायल हुए थे, लेकिन अभियोजन यह साबित करने में विफल रहा कि इन आरोपियों की सीधी भूमिका थी। पीड़ित परिवारों की नाराज़गी और अगला क़दम फैसले के तुरंत बाद पीड़ित परिवारों ने नाराज़गी जताई और कहा कि न्याय मिलने में 17 साल लग गए, लेकिन आखिर में न्याय नहीं मिला। उनका कहना है कि वे इस फैसले को ऊपरी अदालत यानी हाईकोर्ट में चुनौती देंगे, ताकि दोषियों को स...

रूस में आए भीषण भूकंप से जापान‑अलास्का में सुनामी अलर्ट, भारत में भी उठे सवाल

मोहित गौतम (दिल्ली) :  रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में बुधवार रात आए 8.3 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। भूकंप का केंद्र कमचटका प्रायद्वीप के निकट समुद्र में था, जिससे आसपास के देशों में तेज़ झटके महसूस हुए। जैसे ही भूकंप की खबर आई, जापान, अलास्का, हवाई और चीन के तटीय इलाकों में तुरंत सुनामी की चेतावनी जारी कर दी गई। जापान में लगभग 19 लाख लोगों को तटीय क्षेत्रों से हटने और ऊंचे स्थानों पर जाने के लिए अलर्ट जारी किया गया। रूस की कमचटका पेनिन्सुला, जो दुनिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखीय इलाकों में से एक है, वहां आए इस शक्तिशाली भूकंप के चलते समुद्र में उथल‑पुथल बढ़ गई। अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक़, भूकंप का केंद्र समुद्र तल से कुछ ही किलोमीटर गहराई में था, जिससे इसका असर ज़्यादा व्यापक हुआ। जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी ने सबसे पहले चेतावनी जारी की, उसके बाद हवाई और अलास्का में भी संभावित सुनामी की आशंका को देखते हुए एडवाइजरी जारी की गई। चीन में भी कुछ तटीय प्रांतों में समुद्र का जलस्तर अचानक बढ़ने की संभावना को लेकर लोगों को सतर्क ...

ट्रैफिक चालान: पुलिस कब काट सकती है, कब नहीं? जानिए नियम और कानून

मोहित गौतम (दिल्ली) :  भारत में ट्रैफिक नियम तोड़ने पर पुलिस चालान काट सकती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके भी कुछ कानूनी दायरे और नियम तय हैं? अक्सर लोग चालान के डर से बहस नहीं करते, जबकि हर नागरिक को जानना चाहिए कि किस स्थिति में चालान वैध है और कब नहीं। मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 (Motor Vehicles Act) और इसमें 2019 में हुए संशोधनों के बाद ट्रैफिक पुलिस को काफी अधिकार दिए गए हैं। लेकिन चालान करते समय पुलिस को कुछ कानूनी शर्तें पूरी करनी होती हैं। मसलन, चालान तभी वैध माना जाएगा जब उसे ड्यूटी पर मौजूद अधिकृत अधिकारी द्वारा काटा जाए और उसके पास चालान बुक या इ‑चालान डिवाइस हो। कौन चालान कर सकता है? धारा 200 और धारा 210 के तहत, चालान वही पुलिसकर्मी कर सकता है जिसे राज्य सरकार या ट्रैफिक विभाग ने अधिकृत किया हो। आमतौर पर ये ट्रैफिक पुलिस इंस्पेक्टर, सब‑इंस्पेक्टर या ट्रैफिक हवलदार होते हैं, जिनके पास चालान बुक या हैंड‑हेल्ड डिवाइस होना ज़रूरी है। साधारण पुलिस (जैसे थाने की बीट पुलिस) चालान तभी कर सकती है, जब उसे विशेष रूप से अधिकृत किया गया हो। नियमों के मुताबिक, चालान की रसीद देना...

पुलिस द्वारा गैरकानूनी हिरासत: क्या करें, कहां शिकायत करें?

मोहित गौतम (दिल्ली) :  भारत के संविधान में हर नागरिक को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है, जिसे अनुच्छेद 21 में स्पष्ट रूप से सुरक्षित किया गया है। फिर भी कई बार ऐसी खबरें आती हैं, जब किसी व्यक्ति को पुलिस बिना कानूनी आधार के हिरासत में ले लेती है। इसे ही गैरकानूनी हिरासत (illegal detention) कहा जाता है। ऐसी स्थिति में आम आदमी के पास भी कानूनी सुरक्षा और शिकायत के अधिकार हैं। अगर पुलिस बिना FIR दर्ज किए, बिना उचित वजह बताए या कोर्ट में पेश किए बिना 24 घंटे से ज़्यादा समय तक हिरासत में रखती है, तो यह संविधान और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) दोनों का उल्लंघन है। ऐसे मामलों में सबसे पहला कदम है — अपने परिवार या किसी भरोसेमंद व्यक्ति को तुरंत सूचना देना। पुलिस के लिए भी यह ज़रूरी है कि वह हिरासत में लिए गए व्यक्ति की जानकारी परिवार को दे और थाने की नोटिस बोर्ड या वेबसाइट पर डाले। कहां कर सकते हैं शिकायत? उच्च पुलिस अधिकारियों को लिखित शिकायत: एसपी, डीसीपी या जिले के पुलिस अधीक्षक को शिकायत दी जा सकती है। मजिस्ट्रेट या कोर्ट में याचिका: अगर तुरंत राहत चाहिए, ...

RTI के ज़रिए पुलिस से जानकारी कैसे लें? जानिए आसान तरीका

मोहित गौतम (दिल्ली) :  अक्सर आम लोगों के मन में यह सवाल होता है कि अगर किसी मामले में पुलिस से जानकारी चाहिए, या अपने इलाके की FIR, जांच की स्थिति या दूसरे रिकॉर्ड देखना हो, तो कैसे मिले? इसके लिए सबसे असरदार तरीका है सूचना का अधिकार कानून (RTI Act 2005) जिसके ज़रिए कोई भी नागरिक पुलिस विभाग से आधिकारिक जानकारी मांग सकता है। RTI का मकसद सरकार के सभी विभागों को पारदर्शी और जवाबदेह बनाना है। पुलिस भी इसी दायरे में आती है, इसलिए आप RTI लगाकर पुलिस रिकॉर्ड, FIR की कॉपी, केस डायरी के स्टेटस, जांच की प्रगति रिपोर्ट या थाने के स्तर पर लंबित मामलों की संख्या जैसी जानकारी ले सकते हैं। RTI लगाने की प्रक्रिया सबसे पहले आपको RTI आवेदन सादे कागज़ पर लिखना होता है। इसमें साफ शब्दों में बताना होगा कि आप कौन‑सी जानकारी चाहते हैं। आवेदन हिंदी, अंग्रेज़ी या राज्य की स्थानीय भाषा में भी लिखा जा सकता है। आवेदन उस जिले के पुलिस विभाग के Public Information Officer (PIO) को संबोधित करना होता है। साथ में 10 रुपये का पोस्टल ऑर्डर या डिमांड ड्राफ्ट या नकद भुगतान की रसीद लगानी होती है। आप चाहे...

मेहरौली फार्महाउस में सेप्टिक टैंक से मिला शव

मोहित गौतम (दिल्ली) :  दिल्ली के महरौली में एक फार्महाउस के सेप्टिक टैंक से एक व्यक्ति का शव पाया गया है। मृतक की पहचान 40 वर्षीय सीताराम के रूप में हुई है, जो उस परिसर में केयरटेकर और गार्ड के रूप में कार्यरत था। पुलिस अधिकारियों ने इस घटना को प्रथम दृष्टया हत्या का मामला बताया है। घटना की जानकारी मिलने के बाद महरौली थाने की पुलिस मौके पर पहुँची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। दक्षिण जिला पुलिस उपायुक्त अंकित चौहान ने बताया कि शुरुआती प्राथमिक जाँच में हत्या की आशंका जताई जा रही है। पुलिस द्वारा पूरे इलाके की फोरेंसिक जांच शुरू कर दी गई है। गवाहों के बयान और घटना स्थल के अन्य सबूतों की समीक्षा की जा रही है। पुलिस आसपास के लोगों से भी पूछताछ कर रही है ताकि हत्या के पीछे के कारणों का पता लगाया जा सके। इस बीच मृतक के परिवार को सूचित कर दिया गया है। यह मामला एक गंभीर कानूनी और सामाजिक प्रश्न को जन्म देता है — कार्यस्थल पर सुरक्षा और कर्मचारियों का संरक्षण किस हद तक सुनिश्चित होता है। सेफ्टी प्रोटोकॉल का पालन न करना और कर्मचारियों को सशक्त बनाए बिना काम पर लगाना खतरनाक साबित ह...

अमेरिकी विमान के लैंडिंग गियर में लगी आग, रनवे पर इमरजेंसी उतारे गए 179 यात्री

मोहित गौतम (दिल्ली) :  डेनवर एयरपोर्ट पर शनिवार को उस वक्त हड़कंप मच गया, जब अमेरिकी एयरलाइन्स की उड़ान संख्या 3023 के टेकऑफ़ से ठीक पहले लैंडिंग गियर में आग लग गई। विमान में कुल 173 यात्री और 6 क्रू मेंबर सवार थे। अचानक धुआँ निकलते देख पायलट ने तुरंत विमान रोका और रनवे पर इमरजेंसी स्लाइड के जरिए सभी यात्रियों को सुरक्षित उतार लिया गया। इस हादसे में किसी को गंभीर चोट नहीं आई, हालांकि चार यात्रियों को मामूली चोटें लगीं। घटना के तुरंत बाद एयरपोर्ट की फायर टीम मौके पर पहुँची और आग पर काबू पाया। शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, आग लैंडिंग गियर के टायर या ब्रेक सिस्टम में तकनीकी खराबी के कारण लगी। एयर ट्रैफिक कंट्रोल से मिले अलर्ट ने हादसे को टालने में अहम भूमिका निभाई। पायलट और क्रू की त्वरित कार्रवाई की वजह से बड़ा हादसा होते‑होते बच गया। विमानन सुरक्षा एजेंसी FAA ने इस घटना की विस्तृत जांच शुरू कर दी है। एयरलाइन्स ने बयान जारी कर कहा है कि सभी यात्रियों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है और वे घटना की गहन जांच करेंगे, ताकि भविष्य में ऐसी किसी भी तकनीकी खामी से बचा जा सके। हादसे के बाद यात्रि...

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, 2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में नया मोड़

मोहित गौतम (दिल्ली) :  2006 के मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा 12 आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है। महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला अभी लागू नहीं होगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सभी आरोपी तत्काल जेल नहीं लौटेंगे, लेकिन हाईकोर्ट का निर्णय किसी अन्य मामले में कानूनी मिसाल नहीं माना जाएगा, जब तक अंतिम आदेश नहीं आता। हाईकोर्ट का फैसला क्यों था चर्चा में 21 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंच ने कहा था कि अभियोजन पक्ष ने आरोप साबित करने में गंभीर चूक की है। गवाहों की पहचान को अविश्वसनीय माना गया कथित बम सामग्री के सबूत पर भी संदेह जताया गया आरोपियों के कबूलनामे को जबरन बताया गया इन आधारों पर अदालत ने सभी 12 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था। इस निर्णय को महाराष्ट्र सरकार ने “चौंकाने वाला” बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट में सरकार की दलील महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले से न सिर्फ न्याय प्रभ...

भारत‑ब्रिटेन व्यापार समझौते से सस्ती होंगी लक्ज़री कार, व्हिस्की और ब्रांडेड कपड़े

मोहित गौतम (दिल्ली) :  भारत और ब्रिटेन के बीच लंबे समय से बातचीत में अटके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लेकर बड़ी ख़बर सामने आई है। समझौते के लगभग पूरा होने के बाद उम्मीद है कि भारतीय बाज़ार में ब्रिटिश लक्ज़री कार, स्कॉच व्हिस्की, ब्रांडेड कपड़े, फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक सामान की कीमतें काफी हद तक कम हो जाएँगी। क्या सस्ता होगा?  जानकारों के मुताबिक, Jaguar, Land Rover, Aston Martin, Rolls‑Royce और Bentley जैसी हाई‑एंड कारों पर कस्टम ड्यूटी करीब 100‑125% से घटकर 10% तक हो सकती है। इसी तरह स्कॉच व्हिस्की पर भी टैक्स धीरे‑धीरे 150% से घटकर 75% और फिर 40% तक लाने की तैयारी है। सिर्फ कार और व्हिस्की ही नहीं, बल्कि ब्रांडेड कपड़े, जूते, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स, हाई‑एंड गिफ्ट आइटम्स जैसे कई प्रोडक्ट पर भी असर दिखेगा। इससे मिडिल और प्रीमियम सेगमेंट के ग्राहकों को भी राहत मिलने की उम्मीद है। क्यों महत्त्वपूर्ण है ये समझौता? भारत‑ब्रिटेन व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए बड़ा क़दम माना जा रहा है। • इससे भारत में विदेशी निवेश और रोज़गार के नए अवसर बन सकते हैं। • ब्रिटेन को भारतीय बा...

FIR लिखने से पुलिस मना करे तो क्या करें? जानिए Zero FIR और शिकायत का पूरा तरीका

मोहित गौतम (दिल्ली) :  अक्सर पीड़ित लोग पुलिस थाने में FIR दर्ज कराने जाते हैं, लेकिन अधिकारी बहाने बनाकर या दबाव में FIR लिखने से मना कर देते हैं। कई लोग इस स्थिति में निराश होकर लौट आते हैं। जबकि क़ानून कहता है कि FIR दर्ज कराना हर नागरिक का हक़ है। जानिए अगर पुलिस FIR लिखने से मना करे तो क्या कर सकते हैं और Zero FIR क्या होती है। FIR दर्ज न करना क़ानूनन अपराध है भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 154 कहती है कि अगर किसी संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) की जानकारी पुलिस को दी जाए, तो पुलिसकर्मी का कर्तव्य है कि वह FIR दर्ज करे। अगर पुलिसकर्मी ऐसा नहीं करता, तो उसके खिलाफ धारा 166A (IPC) के तहत कार्रवाई हो सकती है। Zero FIR क्या है? Zero FIR किसी भी पुलिस थाने में दर्ज की जा सकती है, चाहे अपराध उस थाने के क्षेत्र में हुआ हो या नहीं। यह नंबर “0” से दर्ज होती है, और बाद में संबंधित थाना क्षेत्र में ट्रांसफर कर दी जाती है। रेप, हत्या, दुर्घटना जैसे गंभीर मामलों में यह सबसे ज़रूरी व्यवस्था है, ताकि देरी न हो। अगर FIR दर्ज न हो तो क्या करें? थाने के SHO...

फ्रॉड कॉल या फर्जी SMS आए तो क्या करें? जानिए IT Act और साइबर सेल में शिकायत का तरीका

मोहित गौतम (दिल्ली) :  आजकल हर किसी के फोन पर कभी न कभी फर्जी कॉल या SMS जरूर आते हैं—कहीं बैंक खाता अपडेट करने के नाम पर, तो कहीं लॉटरी या इनाम जीतने के बहाने। कई बार ये ठगी के नए‑नए तरीके अपनाते हैं। सवाल है: अगर आपके पास भी ऐसा फ्रॉड कॉल या मैसेज आए तो क्या करें? और कानून आपको क्या अधिकार देता है? धोखाधड़ी की कोशिश फोन पर भी अपराध है IT Act 2000 के तहत ऑनलाइन और मोबाइल नेटवर्क के ज़रिए की गई ठगी या फर्जीवाड़ा भी अपराध की श्रेणी में आता है। IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी) भी लागू हो सकती है। चाहे पैसा गया हो या सिर्फ़ धोखाधड़ी की कोशिश हुई हो—दोनों में शिकायत कर सकते हैं। क्या करें जब फ्रॉड कॉल या SMS आए? कॉल/मैसेज का जवाब न दें, लिंक या OTP बिल्कुल न शेयर करें उस नंबर का स्क्रीनशॉट और कॉल/मैसेज का सबूत सुरक्षित रखें अपने बैंक या सेवा प्रदाता को तुरंत सूचित करें, ताकि अकाउंट ब्लॉक/फ्रीज हो सके नजदीकी साइबर सेल या पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करें cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत भी कर सकते हैं साइबर सेल में शिकायत कैसे करें? साइबर क्राइम वेबसाइट (cybercrime....

RTI से क्या‑क्या पूछ सकते हैं, क्या नहीं? जानिए सूचना का अधिकार क़ानून को सरल शब्दों में

मोहित गौतम (दिल्ली) :  भारत में लोकतंत्र को मज़बूती देने के लिए साल 2005 में लागू हुआ था RTI Act – यानी सूचना का अधिकार अधिनियम। इस क़ानून ने हर आम नागरिक को सरकारी कामकाज की जानकारी मांगने का हक़ दिया। लेकिन क्या आप जानते हैं RTI के ज़रिए क्या‑क्या जानकारी ली जा सकती है, और क्या नहीं? आइए समझते हैं आसान शब्दों में। RTI क्या है और क्यों ज़रूरी है? RTI Act 2005 के तहत भारत का हर नागरिक किसी भी सरकारी विभाग, मंत्रालय, सार्वजनिक प्राधिकरण, PSU, नगर निगम या पंचायत से लिखित आवेदन देकर जानकारी मांग सकता है। इसका मक़सद है सरकार के कामकाज में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर रोक। RTI से क्या‑क्या पूछा जा सकता है? सरकारी योजनाओं का खर्च और रिपोर्ट किसी सरकारी अफसर द्वारा लिए गए फ़ैसले का कारण भर्ती या चयन प्रक्रिया की जानकारी सरकारी फंड का उपयोग कैसे हुआ टेंडर प्रक्रिया, कॉन्ट्रैक्ट की कॉपी, फाइल नोटिंग आदि ध्यान दें: जानकारी दस्तावेज़, रिकॉर्ड, ई‑मेल, ऑडियो‑वीडियो या इलेक्ट्रॉनिक रूप में भी मांगी जा सकती है। RTI से क्या नहीं पूछा जा सकता? ऐसी जानकारी जिससे देश की सु...

ट्रैफिक चालान: कौन कर सकता है, कब नहीं हो सकता? जानिए मोटर वाहन कानून से जुड़े ज़रूरी तथ्य

मोहित गौतम (दिल्ली) :  भारत की सड़कों पर बढ़ते ट्रैफिक के साथ चालान (Traffic Challan) आम बात हो गई है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रैफिक पुलिस के अलावा कौन चालान कर सकता है? किन हालात में आपका चालान नहीं हो सकता? और मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicles Act) में इस बारे में क्या‑क्या प्रावधान हैं? आइए जानते हैं आसान भाषा में। चालान किसे करने का अधिकार है? मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत कुछ अधिकारी ही ट्रैफिक चालान काट सकते हैं: ट्रैफिक पुलिस के प्रशिक्षित और यूनिफ़ॉर्मधारी अधिकारी RTO (Regional Transport Office) के अधिकारी मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर कभी‑कभी मजिस्ट्रेट या विशेष रूप से अधिकृत अधिकारी भी महत्वपूर्ण: चालान करने वाला अधिकारी अपनी पहचान (नाम/बैज नंबर) बताने का क़ानूनी रूप से बाध्य है। कब चालान नहीं हो सकता? बिना यूनिफ़ॉर्म या पहचान पत्र के कोई पुलिसकर्मी चालान नहीं कर सकता। अगर वाहन के काग़ज़ात डिजिटल फॉर्म (DigiLocker या mParivahan ऐप) में वैध रूप से दिखाए जाएँ, तो चालान नहीं हो सकता। एक ही अपराध के लिए एक ही समय पर दो चालान नहीं हो सकते। स...

बच्चों पर बढ़ता ऑनलाइन कंटेंट का असर: पैरेंट्स और सिस्टम की भूमिका

मोहित गौतम (दिल्ली) :  हमारे समय की सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि आज का बचपन डिजिटल स्क्रीन की रोशनी में पल रहा है। स्मार्टफ़ोन, टैबलेट और इंटरनेट ने ज्ञान की नई दुनिया खोली है, लेकिन साथ‑साथ कई अनदेखे खतरे भी सामने ला दिए हैं। सवाल यह है कि बच्चों पर इस बढ़ते ऑनलाइन कंटेंट का असली असर क्या है, और इसमें माता‑पिता के साथ‑साथ सिस्टम की क्या भूमिका होनी चाहिए? ज्ञान का खज़ाना या भ्रम का जंगल? इंटरनेट पर बच्चों के लिए पढ़ाई, रोचक कहानियाँ, भाषा सीखने के ऐप से लेकर वैज्ञानिक वीडियो तक सब कुछ मौजूद है। लेकिन उसी इंटरनेट पर हिंसा, अश्लील सामग्री, झूठी खबरें और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला कंटेंट भी आसानी से मिल जाता है। बच्चों की कोमल सोच के लिए यह कंटेंट ज़हर का काम कर सकता है, खासकर तब, जब उन्हें यह समझ ही नहीं होता कि क्या सही है और क्या ग़लत। डिजिटल पैरेंटिंग की चुनौती बच्चों के हाथ में मोबाइल देना आसान है, लेकिन उन्हें जागरूक बनाना मुश्किल है। पैरेंट्स अक्सर काम की व्यस्तता या जानकारी की कमी की वजह से यह ज़िम्मेदारी छोड़ देते हैं कि “बच्चा खुद समझ जाएगा।” असल में, डिजिटल यु...

संपादकीय: डिजिटल दौर में सबसे बड़ा इम्तिहान — इंसानियत की ज़िम्मेदारी

मोहित गौतम (दिल्ली) :  हमारा समय तकनीक की चमत्कारी तरक़्क़ी का गवाह है। कभी जो बातें असंभव लगती थीं, आज कुछ ही सेकंड में हो रही हैं। सूचना का प्रवाह, विचारों का आदान‑प्रदान और दुनिया के किसी भी कोने से जुड़ने की ताक़त — यह सब इंटरनेट और सोशल मीडिया की देन है। मगर सवाल यह है कि क्या तकनीक ने हमारे भीतर की संवेदनशीलता और ज़िम्मेदारी को भी उतना ही मज़बूत किया है? या हम सिर्फ़ तेज़ रफ़्तार सूचनाओं के वाहक बन कर रह गए हैं, जिनमें न सच्चाई की पड़ताल है, न असर की फ़िक्र? तकनीक की ताक़त, पर ज़िम्मेदारी किसकी? आज सोशल मीडिया पर एक अफ़वाह पलक झपकते ही हज़ारों बार शेयर हो जाती है। किसी की झूठी बदनामी से ज़िंदगी तबाह हो सकती है। भीड़ का गुस्सा सड़क पर उतर आता है, या ऑनलाइन गालियों में बदल जाता है। हम अपने फोन की स्क्रीन पर अंगुलियाँ चलाते हुए भूल जाते हैं कि हर शेयर, हर कमेंट का असर असली ज़िंदगी पर भी पड़ता है। यहाँ तकनीक दोषी नहीं है। दोषी है वह लापरवाही, जो यह मान लेती है कि “सब करते हैं, तो मैंने भी कर दिया।” असल में, तकनीक हमें विकल्प देती है; ज़िम्मेदारी हमारी होती है कि हम किसका चु...

शादी नहीं, साथ रहना: लिव‑इन रिलेशनशिप को क्या कहता है भारतीय कानून?

मोहित गौतम (दिल्ली) :  बदलते समाज में लिव‑इन रिलेशनशिप अब केवल मेट्रो सिटी तक सीमित नहीं रही। लेकिन ज़्यादातर लोग अब भी इस बारे में कन्फ्यूज रहते हैं कि क्या लिव‑इन रिलेशनशिप भारत में कानूनी रूप से मान्य है? और इसमें रहने वाले कपल्स के क्या अधिकार हैं? जानिए सरल भाषा में कानून का नजरिया। ⚖️ भारत में लिव‑इन रिलेशनशिप की कानूनी स्थिति भारतीय क़ानून में सीधे तौर पर “लिव‑इन रिलेशनशिप” शब्द का ज़िक्र नहीं है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट और कई हाई कोर्ट के फैसलों ने इसे मान्यता दी है, अगर: दोनों वयस्क हैं और अपनी मर्जी से साथ रह रहे हैं। संबंध लंबे समय तक और स्थायी जैसे हों (यानी सिर्फ कुछ दिनों का नहीं)। 🛡 महिलाओं के अधिकार Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005 (DV Act) के तहत: लिव‑इन में रह रही महिला भी घरेलू हिंसा की शिकार होने पर कोर्ट से सुरक्षा और मुआवज़ा मांग सकती है। कोर्ट ने साफ कहा: लंबे समय तक लिव‑इन में रहने वाली महिला को "wife" जैसा दर्जा मिल सकता है। 👶 बच्चों के अधिकार लिव‑इन रिलेशन से पैदा हुए बच्चों को कानूनी रूप से वैध माना जाता ...

जानिए भारतीय संविधान में मिले मौलिक अधिकार: हर नागरिक को क्यों ज़रूरी हैं ये अधिकार

मोहित गौतम (दिल्ली) :  भारतीय संविधान सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि हर नागरिक की आज़ादी, सम्मान और बराबरी की गारंटी है। इसमें कुछ अधिकार ऐसे हैं, जिन्हें मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) कहा जाता है। ये अधिकार हर भारतीय को जन्म से ही मिलते हैं और इन्हें कोई सरकार आसानी से छीन नहीं सकती। आइए आसान भाषा में समझते हैं ये कौन‑कौन से हैं और क्यों ज़रूरी हैं। 🇮🇳 1️⃣ समानता का अधिकार (Right to Equality) – अनुच्छेद 14‑18 कानून की नज़रों में सभी नागरिक बराबर हैं। जाति, धर्म, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। छुआछूत को पूरी तरह अपराध घोषित किया गया है। ✊ 2️⃣ स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom) – अनुच्छेद 19‑22 अभिव्यक्ति, बोलने, प्रेस की स्वतंत्रता। शांतिपूर्ण ढंग से सभा करने, संगठन बनाने, भारत में कहीं भी आने‑जाने और रहने का अधिकार। जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार – किसी को भी मनमाने ढंग से गिरफ्तार या सज़ा नहीं दी जा सकती। 🛡 3️⃣ शोषण के खिलाफ अधिकार (Right against Exploitation) – अनुच्छेद 23‑24 मानव तस्करी, बलात् श्रम (बॉन्डेड...