रूस में आए भीषण भूकंप से जापान‑अलास्का में सुनामी अलर्ट, भारत में भी उठे सवाल
मोहित गौतम (दिल्ली) : रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में बुधवार रात आए 8.3 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। भूकंप का केंद्र कमचटका प्रायद्वीप के निकट समुद्र में था, जिससे आसपास के देशों में तेज़ झटके महसूस हुए। जैसे ही भूकंप की खबर आई, जापान, अलास्का, हवाई और चीन के तटीय इलाकों में तुरंत सुनामी की चेतावनी जारी कर दी गई। जापान में लगभग 19 लाख लोगों को तटीय क्षेत्रों से हटने और ऊंचे स्थानों पर जाने के लिए अलर्ट जारी किया गया।
रूस की कमचटका पेनिन्सुला, जो दुनिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखीय इलाकों में से एक है, वहां आए इस शक्तिशाली भूकंप के चलते समुद्र में उथल‑पुथल बढ़ गई। अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक़, भूकंप का केंद्र समुद्र तल से कुछ ही किलोमीटर गहराई में था, जिससे इसका असर ज़्यादा व्यापक हुआ। जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी ने सबसे पहले चेतावनी जारी की, उसके बाद हवाई और अलास्का में भी संभावित सुनामी की आशंका को देखते हुए एडवाइजरी जारी की गई।
चीन में भी कुछ तटीय प्रांतों में समुद्र का जलस्तर अचानक बढ़ने की संभावना को लेकर लोगों को सतर्क रहने को कहा गया है। हालांकि अब तक किसी बड़े नुकसान या हताहत की खबर नहीं आई है, लेकिन लगातार आफ्टरशॉक्स और समुद्र के स्तर में बदलाव को देखते हुए खतरा टला नहीं है।
क्या भारत में भी सुनामी का खतरा है?
भूकंप की खबर आने के बाद भारत में भी लोगों के मन में सवाल उठा कि क्या हमारे तटों पर भी सुनामी आ सकती है? इस पर भारतीय राष्ट्रीय सागर विज्ञान सूचना केंद्र (INCOIS) ने स्पष्ट किया कि भारत के किसी भी तटीय हिस्से के लिए इस भूकंप से सीधा सुनामी का खतरा नहीं है। INCOIS ने अपने बयान में कहा कि रूस के सुदूर पूर्व में आए इस भूकंप का भारतीय समुद्र तटों पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा, इसलिए घबराने की ज़रूरत नहीं है।
बड़ा सवाल: क्या हम तैयार हैं?
रूस, जापान, चीन और अमेरिका जैसे देशों में ऐसे हालात में तुरंत अलर्ट सिस्टम काम करता है, जिससे जान‑माल के नुकसान को कम किया जा सके। भारत में भी 2004 की विनाशकारी सुनामी के बाद अलर्ट सिस्टम को काफी मज़बूत किया गया है। INCOIS जैसे संस्थान तटीय इलाकों के लिए चौबीसों घंटे निगरानी रखते हैं और खतरा होने पर कुछ ही मिनटों में अलर्ट जारी कर सकते हैं।
भले ही इस बार भारत के लिए कोई खतरा नहीं है, लेकिन यह घटना याद दिलाती है कि समुद्री इलाकों में तेज़ भूकंप का असर सैकड़ों किलोमीटर दूर तक महसूस किया जा सकता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि तकनीक के साथ‑साथ लोगों में जागरूकता भी उतनी ही ज़रूरी है, ताकि समय रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुँचा जा सके।