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पुलिस द्वारा गैरकानूनी हिरासत: क्या करें, कहां शिकायत करें?

मोहित गौतम (दिल्ली) : भारत के संविधान में हर नागरिक को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है, जिसे अनुच्छेद 21 में स्पष्ट रूप से सुरक्षित किया गया है। फिर भी कई बार ऐसी खबरें आती हैं, जब किसी व्यक्ति को पुलिस बिना कानूनी आधार के हिरासत में ले लेती है। इसे ही गैरकानूनी हिरासत (illegal detention) कहा जाता है। ऐसी स्थिति में आम आदमी के पास भी कानूनी सुरक्षा और शिकायत के अधिकार हैं।

अगर पुलिस बिना FIR दर्ज किए, बिना उचित वजह बताए या कोर्ट में पेश किए बिना 24 घंटे से ज़्यादा समय तक हिरासत में रखती है, तो यह संविधान और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) दोनों का उल्लंघन है। ऐसे मामलों में सबसे पहला कदम है — अपने परिवार या किसी भरोसेमंद व्यक्ति को तुरंत सूचना देना। पुलिस के लिए भी यह ज़रूरी है कि वह हिरासत में लिए गए व्यक्ति की जानकारी परिवार को दे और थाने की नोटिस बोर्ड या वेबसाइट पर डाले।


कहां कर सकते हैं शिकायत?

  1. उच्च पुलिस अधिकारियों को लिखित शिकायत:
    एसपी, डीसीपी या जिले के पुलिस अधीक्षक को शिकायत दी जा सकती है।

  2. मजिस्ट्रेट या कोर्ट में याचिका:
    अगर तुरंत राहत चाहिए, तो मजिस्ट्रेट के सामने पेशी की मांग की जा सकती है (Habeas Corpus याचिका)।

  3. मानवाधिकार आयोग:
    राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) या राज्य मानवाधिकार आयोग में शिकायत की जा सकती है, जो स्वतः संज्ञान भी ले सकता है।

  4. RTI के जरिए:
    हिरासत या गिरफ्तारी की कानूनी स्थिति से जुड़ी जानकारी मांगी जा सकती है।

  5. हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका:
    ‘Habeas Corpus’ याचिका दायर कर अदालत से तुरंत रिहाई का आदेश लिया जा सकता है।


अपने अधिकार जानना ज़रूरी क्यों?

गैरकानूनी हिरासत सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि व्यक्ति की आज़ादी और सम्मान का भी हनन है। पुलिस के पास किसी को हिरासत में लेने के स्पष्ट कानूनी आधार, FIR या वारंट होना ज़रूरी है। CrPC की धारा 57 के तहत पुलिस 24 घंटे से ज़्यादा हिरासत में नहीं रख सकती, जब तक मजिस्ट्रेट के सामने पेश न कर दे।

यह अधिकार हर नागरिक के लिए है, चाहे आरोप कुछ भी हो। अगर पुलिस गिरफ्तारी का कारण नहीं बताती, या मजिस्ट्रेट के सामने तय समय में पेश नहीं करती, तो यह सीधा गैरकानूनी हिरासत का मामला बनता है।


निष्कर्ष

गैरकानूनी हिरासत की स्थिति में घबराएँ नहीं — कानूनी मदद लें, परिवार को सूचित करें और तुरंत शिकायत करें। भारत के संविधान ने हर व्यक्ति को सुरक्षा दी है, और अदालतें भी बार‑बार साफ़ कर चुकी हैं कि व्यक्ति की आज़ादी सबसे बड़ा मौलिक अधिकार है। जागरूक रहें, अधिकारों की जानकारी रखें और ज़रूरत पड़ने पर कानूनी रास्ता अपनाएँ।

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