FIR लिखने से पुलिस मना करे तो क्या करें? जानिए Zero FIR और शिकायत का पूरा तरीका
मोहित गौतम (दिल्ली) : अक्सर पीड़ित लोग पुलिस थाने में FIR दर्ज कराने जाते हैं, लेकिन अधिकारी बहाने बनाकर या दबाव में FIR लिखने से मना कर देते हैं। कई लोग इस स्थिति में निराश होकर लौट आते हैं। जबकि क़ानून कहता है कि FIR दर्ज कराना हर नागरिक का हक़ है। जानिए अगर पुलिस FIR लिखने से मना करे तो क्या कर सकते हैं और Zero FIR क्या होती है।
FIR दर्ज न करना क़ानूनन अपराध है
Zero FIR क्या है?
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Zero FIR किसी भी पुलिस थाने में दर्ज की जा सकती है, चाहे अपराध उस थाने के क्षेत्र में हुआ हो या नहीं।
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यह नंबर “0” से दर्ज होती है, और बाद में संबंधित थाना क्षेत्र में ट्रांसफर कर दी जाती है।
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रेप, हत्या, दुर्घटना जैसे गंभीर मामलों में यह सबसे ज़रूरी व्यवस्था है, ताकि देरी न हो।
अगर FIR दर्ज न हो तो क्या करें?
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थाने के SHO/SP को लिखित शिकायत दें।
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शिकायत की रिसीव्ड कॉपी ज़रूर लें।
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अगर फिर भी कार्रवाई न हो, तो CrPC की धारा 156(3) के तहत मजिस्ट्रेट के सामने आवेदन दे सकते हैं — कोर्ट पुलिस को FIR दर्ज करने का आदेश दे सकता है।
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राज्य या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भी शिकायत की जा सकती है।
ऑनलाइन FIR और हेल्पलाइन
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कई राज्यों में e‑FIR पोर्टल या पुलिस की वेबसाइट पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
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राष्ट्रीय महिला आयोग, चाइल्ड हेल्पलाइन (1098), महिला हेल्पलाइन (1091) जैसे विशेष नंबर भी मदद करते हैं।
FIR दर्ज कराने के कुछ अहम टिप्स
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लिखित में शिकायत दें और रिसीविंग ज़रूर लें।
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घटना की सही तारीख, समय और विवरण लिखें।
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गवाह या सबूत हों तो साथ में दें।
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FIR की कॉपी लेना आपका अधिकार है — बिना किसी शुल्क के।
निष्कर्ष
FIR दर्ज कराना नागरिक का अधिकार है और पुलिस की कानूनी ज़िम्मेदारी भी। FIR दर्ज न करने पर हार मानने के बजाय Zero FIR, SP को शिकायत और मजिस्ट्रेट से आदेश जैसे कानूनी विकल्प ज़रूर अपनाएँ।