RTI से क्या‑क्या पूछ सकते हैं, क्या नहीं? जानिए सूचना का अधिकार क़ानून को सरल शब्दों में
मोहित गौतम (दिल्ली) : भारत में लोकतंत्र को मज़बूती देने के लिए साल 2005 में लागू हुआ था RTI Act – यानी सूचना का अधिकार अधिनियम। इस क़ानून ने हर आम नागरिक को सरकारी कामकाज की जानकारी मांगने का हक़ दिया। लेकिन क्या आप जानते हैं RTI के ज़रिए क्या‑क्या जानकारी ली जा सकती है, और क्या नहीं? आइए समझते हैं आसान शब्दों में।
RTI क्या है और क्यों ज़रूरी है?
RTI से क्या‑क्या पूछा जा सकता है?
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सरकारी योजनाओं का खर्च और रिपोर्ट
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किसी सरकारी अफसर द्वारा लिए गए फ़ैसले का कारण
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भर्ती या चयन प्रक्रिया की जानकारी
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सरकारी फंड का उपयोग कैसे हुआ
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टेंडर प्रक्रिया, कॉन्ट्रैक्ट की कॉपी, फाइल नोटिंग आदि
ध्यान दें: जानकारी दस्तावेज़, रिकॉर्ड, ई‑मेल, ऑडियो‑वीडियो या इलेक्ट्रॉनिक रूप में भी मांगी जा सकती है।
RTI से क्या नहीं पूछा जा सकता?
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ऐसी जानकारी जिससे देश की सुरक्षा, संप्रभुता या विदेशी संबंधों को नुकसान पहुँचे
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कोर्ट में लंबित मामलों से जुड़े दस्तावेज़ (कुछ शर्तों के साथ)
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व्यक्तिगत जानकारी, जिससे किसी तीसरे व्यक्ति की प्राइवेसी प्रभावित हो
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किसी प्रकार की राय, स्पष्टीकरण या सवाल — RTI में सिर्फ़ मौजूद दस्तावेज़ी जानकारी मांगी जा सकती है
RTI आवेदन कैसे करें?
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साधारण पेपर पर हिंदी/अंग्रेज़ी या किसी भी भारतीय भाषा में आवेदन लिखें
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संबंधित विभाग के PIO (Public Information Officer) को संबोधित करें
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10 रुपये का पोस्टल ऑर्डर, कोर्ट फी स्टैम्प या ऑनलाइन पेमेंट से शुल्क जमा करें
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ज़िला स्तर पर RTI काउंटर या वेबसाइट से भी आवेदन कर सकते हैं
कब मिलेगा जवाब?
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सामान्य मामलों में 30 दिन के भीतर
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अगर जानकारी जीवन या स्वतंत्रता से जुड़ी हो, तो 48 घंटे में
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अगर जानकारी दूसरे विभाग से जुड़ी हो, तो उस विभाग को 5 दिन के भीतर भेजी जाती है
अगर जवाब न मिले या संतुष्ट न हों?
निष्कर्ष
RTI सिर्फ़ क़ानून नहीं, लोकतंत्र का शक्तिशाली औज़ार है। अगर सही जानकारी सही समय पर मिले, तो व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ती है और नागरिकों का भरोसा भी मज़बूत होता है। ज़रूरी है कि हम RTI के अधिकार को समझें और ज़िम्मेदारी से इस्तेमाल करें।