सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, 2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में नया मोड़
मोहित गौतम (दिल्ली) : 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा 12 आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है। महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला अभी लागू नहीं होगा।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सभी आरोपी तत्काल जेल नहीं लौटेंगे, लेकिन हाईकोर्ट का निर्णय किसी अन्य मामले में कानूनी मिसाल नहीं माना जाएगा, जब तक अंतिम आदेश नहीं आता।
हाईकोर्ट का फैसला क्यों था चर्चा में
21 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंच ने कहा था कि अभियोजन पक्ष ने आरोप साबित करने में गंभीर चूक की है।
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गवाहों की पहचान को अविश्वसनीय माना गया
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कथित बम सामग्री के सबूत पर भी संदेह जताया गया
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आरोपियों के कबूलनामे को जबरन बताया गया
इन आधारों पर अदालत ने सभी 12 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था। इस निर्णय को महाराष्ट्र सरकार ने “चौंकाने वाला” बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
सुप्रीम कोर्ट में सरकार की दलील
महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले से न सिर्फ न्याय प्रभावित होगा, बल्कि यह अन्य मामलों को भी प्रभावित कर सकता है, खासकर उन मामलों में जहां मकोका (MCOCA) कानून के तहत सुनवाई हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर मानते हुए हाईकोर्ट के फैसले को रोक दिया, ताकि इस फैसले को दूसरी अदालती कार्यवाही में कानूनी उदाहरण न माना जाए।
आगे की प्रक्रिया क्या होगी
अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर विस्तार से सुनवाई होगी। अदालत दोनों पक्षों की दलीलें सुनेगी और तय करेगी कि हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रहेगा या फिर मामले की दोबारा जांच या सुनवाई होगी।
इस मामले का महत्व
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2006 में हुए इन बम धमाकों में 180 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे।
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12 आरोपियों को पहले निचली अदालत ने दोषी ठहराया था।
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हाईकोर्ट के फैसले ने एक बार फिर जांच की गुणवत्ता और सबूतों की मजबूती पर सवाल खड़े कर दिए हैं।