दिल्ली सरकार नए सचिवालय के लिए क्षेत्र तलाशेगी; सभी विभाग एक ही छत के नीचे स्थानांतरित होंगे
मोहित गौतम (दिल्ली) : दिल्ली के मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घोषणा की है कि दिल्ली सरकार जल्द ही एक नया सचिवालय बनाएगी जहां सभी विभाग एक ही भवन में कार्य करेंगे। यह निर्णय राज्य में पुराने और बिगड़ते सरकारी कार्यालयों की वर्तमान स्थितियों को देखते हुए लिया गया है। खासकर महिलाओं एवं बाल विकास विभाग के कार्यालय का हाल बेहद खस्ता बताया गया—जिसमें छत से पानी रिसाव, टूटी फर्नीचर और फायदेमंद ढंग की कमी जैसे गंभीर परेशानियों के बीच अधिकारी कार्य करते थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे हालात में अधिकारी सुरक्षित तरीके से काम नहीं कर सकते। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रयोजन हेतु उपयुक्त स्थान की पहचान की जाए, जहां सभी विभाग सुगठित और सुव्यवस्थित तरीके से संचालित हो सकें। दिल्ली सचिवालय, जो वर्तमान में आईपी-एस्टेट स्थित इंडियन स्टेडियम के पास नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में फैला हुआ है, उसमें कई मंत्रालयों के अलावा कई अन्य विभाग भी कार्यरत हैं।
पिछली सरकार पर निशाना और पुरानी योजनाओं का उल्लेख
मुख्यमंत्री ने उल्लेख किया कि पूर्व की सरकार जशनी परियोजनाओं पर खर्च में व्यस्त थी, जबकि बुनियादी मरम्मत कार्यों को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने बताया कि 2021 में आग लगने के बावजूद अब तक मरम्मत पूर्ण रूप से नहीं हुई। पहले योजना में ITO के PWD और GST भवनों तथा विकास सदन को ध्वस्त कर 35‑35 मंजिला ट्विन टावर मॉडल प्रस्तावित किया गया था, लेकिन वह परियोजना फ़िलहाल अधर में पड़ी है।
छोटे सचिवालय और नियम आयोग की तैयारी
दिल्ली सरकार छोटे स्तर पर सेवा सुविधा बढ़ाने हेतु 11 mini-secretariats बनाने की भी तैयारी कर रही है, जिससे विभिन्न विभागों की सेवाएँ राजस्व जिलों में नागरिकों के और करीब पहुँचें। इससे नगर सेवा केंद्रों को केंद्रीकृत रूप से अधिक सक्षम तरीके से संचालित किया जा सकेगा।
इसके अलावा विधानसभा नियम समिति ने एक स्वतंत्र विधायी सचिवालय और वित्तीय स्वायत्तता प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जिससे दिल्ली की संसद प्रक्रिया और प्रशासनिक प्रभावशीलता में सुधार होने की उम्मीद है। इस पहल से दिल्ली विधानसभा को राज्य विधानसभाओं के मानक के अनुरूप प्रशासनिक रूप दिया जा सकेगा।
निष्कर्ष
यह कदम दिल्ली में प्रशासन को और अधिक नागरिक-केंद्रित, सुव्यवस्थित और सुरक्षित बनाने का संकेत देती है। एकीकृत सचिवालय और Mini‑secretariat मॉडल से सरकारी कामकाज में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुव्यवस्था बढ़ने की संभावना है। अब यह देखना होगा कि वित्तीय और कानूनी प्रक्रियाएँ कितनी समयबद्धता से पूरी होती हैं।