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सरकारी कामकाज में पारदर्शिता का हथियार: RTI क्या है और इसे कैसे इस्तेमाल करें

मोहित गौतम (दिल्ली) : सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जनता को सशक्त बनाने के लिए साल 2005 में लागू हुआ सूचना का अधिकार कानून यानी RTI Act। इस कानून ने हर भारतीय नागरिक को हक दिया है कि वह किसी भी सरकारी विभाग से जानकारी माँग सके। लेकिन ज़्यादातर लोग या तो इसके बारे में जानते नहीं, या फिर इस्तेमाल करने से हिचकिचाते हैं।


📄 RTI क्या है?

RTI यानी Right to Information Act, 2005। यह कानून हर नागरिक को अधिकार देता है कि वह केंद्र या राज्य सरकार के किसी भी कार्यालय, विभाग या सार्वजनिक प्राधिकरण से सरकारी जानकारी माँग सके।


✍️ RTI कैसे लगाएँ?

  • संबंधित विभाग के Public Information Officer (PIO) को एक साधारण आवेदन लिखें।

  • आवेदन में साफ-साफ बताएँ कि कौन‑सी जानकारी चाहिए।

  • ₹10 का शुल्क जमा करें (पोस्टल ऑर्डर, डिमांड ड्राफ्ट या ऑनलाइन)।

  • आवेदन डाक से या विभाग में सीधे जमा किया जा सकता है।


कब तक मिलेगा जवाब?

  • सामान्य मामलों में: 30 दिन के भीतर।

  • अगर मामला जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ा हो: 48 घंटे में जानकारी देनी होती है।


🛡 अगर जवाब न मिले या असंतोषजनक लगे?

  • पहले अपील उसी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी (First Appellate Authority) के पास करें।

  • फिर भी न मिले, तो राज्य या केंद्र की सूचना आयोग (State/Central Information Commission) में दूसरी अपील कर सकते हैं।


⚠️ किन मामलों में RTI से जानकारी नहीं मिलती?

  • राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति, जाँच से जुड़े संवेदनशील दस्तावेज़।

  • व्यक्तिगत जीवन की गोपनीय जानकारी, जिससे किसी तीसरे व्यक्ति की प्राइवेसी प्रभावित हो।


निष्कर्ष

RTI सिर्फ कागज़ी अधिकार नहीं, बल्कि आम जनता का मजबूत हथियार है, जिससे सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ती है। इसे जानिए, अपनाइए और अपने हक की आवाज़ उठाइए।

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