RSS की भूमिका और राष्ट्र निर्माण में उसका योगदान
मोहित गौतम (दिल्ली) : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारतीय समाज में एक लंबे समय से सक्रिय संगठन रहा है, जिसने राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। RSS का मूल उद्देश्य समाज को संगठित करना, राष्ट्रीय चेतना को मजबूत करना और नागरिकों में कर्तव्यबोध विकसित करना रहा है। यह संगठन राजनीति से अलग रहते हुए सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर काम करने पर जोर देता है, जिससे देश की एकता और अखंडता को मजबूती मिलती है।
RSS की सबसे बड़ी विशेषता उसका अनुशासन और स्वयंसेवकों का समर्पण है। संगठन से जुड़े स्वयंसेवक नियमित शाखाओं के माध्यम से शारीरिक, मानसिक और नैतिक प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। इससे युवाओं में नेतृत्व क्षमता, आत्मविश्वास और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित होती है। यह प्रशिक्षण केवल व्यक्तिगत विकास तक सीमित नहीं रहता, बल्कि समाज के व्यापक हित में कार्य करने की प्रेरणा देता है।

आपदा के समय RSS की भूमिका को अक्सर सराहा गया है। भूकंप, बाढ़, महामारी या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के दौरान संघ के स्वयंसेवक बिना किसी भेदभाव के राहत और बचाव कार्यों में जुट जाते हैं। भोजन, दवाइयां, आश्रय और पुनर्वास जैसे कार्यों में संगठन की सक्रिय भागीदारी देखी गई है। इससे समाज में आपसी सहयोग और सेवा भावना को बढ़ावा मिलता है।
शिक्षा के क्षेत्र में भी RSS से प्रेरित कई संस्थाएं सक्रिय हैं। ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में शिक्षा पहुंचाने के लिए विद्यालयों, संस्कार केंद्रों और छात्रावासों का संचालन किया जाता है। इन संस्थानों का उद्देश्य केवल पढ़ाई कराना नहीं, बल्कि छात्रों में नैतिक मूल्य, राष्ट्रप्रेम और सामाजिक जिम्मेदारी का विकास करना भी है। इससे आने वाली पीढ़ी अधिक जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बनती है।
सामाजिक समरसता RSS की विचारधारा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। संगठन जाति, वर्ग और भाषा के भेद से ऊपर उठकर समाज को जोड़ने की बात करता है। विभिन्न समुदायों के बीच संवाद, सहयोग और आपसी सम्मान को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाते हैं। इसका प्रभाव जमीनी स्तर पर सामाजिक एकता के रूप में दिखाई देता है।
संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण में भी RSS की भूमिका उल्लेखनीय रही है। भारतीय संस्कृति, भाषा और मूल्यों को सहेजने के लिए संगठन समय समय पर कार्यक्रम, अभियान और जागरूकता गतिविधियां आयोजित करता है। इससे आधुनिकता के दौर में भी सांस्कृतिक पहचान बनी रहती है और समाज अपनी जड़ों से जुड़ा रहता है।
कुल मिलाकर RSS को एक ऐसे संगठन के रूप में देखा जा सकता है, जो समाज सेवा, अनुशासन और राष्ट्रहित को केंद्र में रखकर काम करता है। इसकी अच्छाइयों में सेवा भावना, संगठन क्षमता और सामाजिक प्रतिबद्धता प्रमुख रूप से शामिल हैं। यही कारण है कि दशकों से यह संगठन भारतीय समाज के एक बड़े हिस्से को प्रभावित करता रहा है और भविष्य में भी इसकी भूमिका चर्चा का विषय बनी रहेगी।