एआई और क्वांटम टेक्नोलॉजी के खतरे: आम लोगों के लिए बढ़ती चिंताएँ
मोहित गौतम (दिल्ली) : कृत्रिम बुद्धिमत्ता और क्वांटम टेक्नोलॉजी जहां दुनिया को तेजी से आगे बढ़ा रही हैं, वहीं इनके साथ कई ऐसे खतरे भी सामने आ रहे हैं जिन पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। 2026 तक इन तकनीकों का विस्तार और तेज़ होगा, जिसके साथ आम लोगों की जिंदगी भी कई नए जोखिमों के दायरे में आ सकती है। सबसे बड़ा खतरा रोजगार से जुड़ा है, क्योंकि एआई इंसानों की जगह कई काम अधिक गति और सटीकता से कर सकता है। डेटा एंट्री, ग्राहक सेवा और मूल ऑफिस कार्य जैसे क्षेत्रों में नौकरी का दबाव बढ़ सकता है। यदि लोग समय रहते नई तकनीकी स्किल्स नहीं सीखते, तो इस बदलाव के कारण रोजगार संकट गहरा सकता है।
साइबर सुरक्षा भी एक बड़ी चिंता बनकर उभर रही है। क्वांटम कंप्यूटर इतने शक्तिशाली होते हैं कि वे मौजूदा सुरक्षा प्रणालियों को आसानी से तोड़ सकते हैं, जिससे बैंकिंग डेटा, सरकारी रिकॉर्ड, पहचान संबंधी जानकारियाँ और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसी संवेदनशील सूचनाएँ खतरे में पड़ सकती हैं। यदि क्वांटम एन्क्रिप्शन तकनीक को तेजी से लागू नहीं किया गया, तो डिजिटल दुनिया में अव्यवस्था पैदा हो सकती है। इस तकनीक के गलत हाथों में जाने से साइबर अपराध कई गुना बढ़ सकता है।
एआई का एक और बड़ा खतरा गलत जानकारी और डीपफेक technology का बढ़ना है। एआई ऐसी नकली आवाज़ें, वीडियो और तस्वीरें बना सकता है, जो बिल्कुल असली लगती हैं। इससे सामाजिक तनाव, अफवाहें, चुनावों में हस्तक्षेप और व्यक्तिगत प्रताड़ना जैसी समस्याएँ बढ़ सकती हैं। लोग असली और नकली में फर्क कर ही नहीं पाएँगे, जिससे डिजिटल भ्रम का नया युग शुरू हो सकता है।
निजता का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है। एआई हर उपयोगकर्ता के मोबाइल, ऐप्स, कैमरा और स्मार्ट डिवाइस से लगातार डेटा एकत्र करता है। यह डेटा किसी भी व्यक्ति की जीवनशैली, आदतों, पसंद और व्यवहार को पूरी तरह उजागर कर सकता है। यदि इन जानकारियों को कंपनियाँ या अनैतिक संगठन गलत तरीके से इस्तेमाल करें, तो आम नागरिक की निजी स्वतंत्रता पर सीधा खतरा पैदा हो सकता है। आने वाले समय में डेटा ही सबसे बड़ा हथियार बन जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एआई हथियारों का खतरा गहरा रहा है। स्वचालित ड्रोन और एआई आधारित युद्ध उपकरण बिना मानवीय नियंत्रण के काम कर सकते हैं। यदि यह तकनीक गलत देशों, संगठनों या आतंकी समूहों के हाथों में पहुंच गई, तो युद्ध और सुरक्षा से जुड़ी स्थितियाँ बेहद खतरनाक हो सकती हैं। इससे वैश्विक संघर्षों का स्वरूप पूरी तरह बदल सकता है और इंसानी नियंत्रण कमज़ोर पड़ सकता है।
इसके साथ समाज में असमानता भी बढ़ सकती है, क्योंकि एआई और क्वांटम टेक्नोलॉजी का फायदा उन्हीं को आसानी से मिलेगा जिनके पास संसाधन, शिक्षा और डिजिटल पहुंच है। गरीब या तकनीकी रूप से पीछे रहने वाले लोग और भी पीछे छूट सकते हैं। इस तरह, भविष्य का समाज दो भागों में बँट सकता है—एक वह जो तकनीक को नियंत्रित करेगा और दूसरा वह जो उस पर निर्भर होकर असहाय रहेगा।
समग्र रूप से देखा जाए तो एआई और क्वांटम टेक्नोलॉजी के फायदे जितने बड़े हैं, उनके खतरे भी उतने ही गंभीर हैं। इसलिए इन तकनीकों का इस्तेमाल सोच-समझकर, मजबूत कानूनों, सुरक्षा व्यवस्थाओं और नैतिक दिशा-निर्देशों के साथ करना जरूरी है, ताकि भविष्य सुरक्षित, संतुलित और सबके लिए लाभदायक बन सके।