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लोकपाल और लोकायुक्त में शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया: स्टेप बाय स्टेप गाइड

मोहित गौतम (दिल्ली) : देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2013 में लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम लागू किया था। इस कानून का उद्देश्य नागरिकों को यह अधिकार देना है कि वे सरकार, सार्वजनिक संस्थानों और अधिकारियों के खिलाफ स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से शिकायत दर्ज कर सकें।

लोकपाल और लोकायुक्त दो अलग-अलग संस्थाएँ हैं। लोकपाल केंद्र सरकार के स्तर पर काम करता है और प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों तथा वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कर सकता है। वहीं लोकायुक्त राज्य स्तर पर कार्य करता है और राज्य के मंत्रियों, अधिकारियों तथा स्थानीय निकायों से जुड़े मामलों की जांच करता है। दोनों संस्थाएँ स्वतंत्र हैं और राजनीतिक प्रभाव से मुक्त मानी जाती हैं।

किसी भी भारतीय नागरिक को यदि यह लगता है कि किसी सरकारी अधिकारी या सार्वजनिक प्रतिनिधि ने भ्रष्टाचार किया है, तो वह लोकपाल या लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज कर सकता है। यह शिकायत व्यक्तिगत रूप से या किसी संस्था के नाम से भी दी जा सकती है। आमतौर पर ऐसे मामलों में रिश्वतखोरी, अनुचित लाभ, सार्वजनिक धन का दुरुपयोग या पद का दुरुपयोग जैसे आरोप शामिल होते हैं।

लोकपाल भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अंतर्गत आने वाले अपराधों की जांच कर सकता है। यदि किसी सरकारी अनुबंध, टेंडर या नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी की आशंका हो, तो भी इसकी शिकायत की जा सकती है।

शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया सरल है। सबसे पहले नागरिक लोकपाल की आधिकारिक वेबसाइट www.lokpal.gov.in पर जाकर ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं। वेबसाइट पर “File Complaint” सेक्शन में जाकर अपने विवरण और उपलब्ध साक्ष्य अपलोड किए जा सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति ऑफलाइन शिकायत करना चाहता है, तो वह लिखित आवेदन के रूप में लोकपाल कार्यालय (नई दिल्ली) या संबंधित राज्य के लोकायुक्त कार्यालय में जमा करा सकता है। आवेदन में आरोपी का नाम, पद, घटना का विवरण, तारीख, स्थान और उपलब्ध साक्ष्य स्पष्ट रूप से लिखना आवश्यक होता है।

शिकायत मिलने के बाद प्रारंभिक जांच होती है जिसमें यह देखा जाता है कि मामला सुनवाई योग्य है या नहीं। यदि मामला सही पाया जाता है, तो जांच एजेंसी जैसे CBI, Vigilance या राज्य पुलिस को जांच सौंप दी जाती है। भ्रष्टाचार साबित होने पर लोकपाल अभियोजन की सिफारिश कर सकता है और आरोपी के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाती है।

कानून में गुमनाम शिकायतों की भी अनुमति है, लेकिन ऐसे मामलों में जांच सीमित हो सकती है। यदि कोई व्यक्ति अपना नाम और पहचान साझा करता है, तो उसे व्हिसलब्लोअर संरक्षण के तहत सुरक्षा मिलती है और उसकी पहचान गोपनीय रखी जाती है।

लोकपाल और लोकायुक्त प्रणाली भारत में शासन को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। यह न सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का माध्यम है, बल्कि नागरिकों को यह भरोसा भी देता है कि उनकी आवाज़ सरकारी तंत्र तक पहुँच सकती है। यदि कहीं भी भ्रष्टाचार या अनियमितता नजर आए, तो नागरिकों को बिना झिझक लोकपाल या लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज करनी चाहिए। यही एक जिम्मेदार नागरिक समाज की पहचान है।

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