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2025 में भारत की वैश्विक छवि: विश्व मंच पर नई ताकत के रूप में उभरता भारत

मोहित गौतम (दिल्ली) : साल 2025 भारत के लिए विश्व राजनीति और अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से ऐतिहासिक साबित हो रहा है। आज भारत न केवल एशिया बल्कि विश्व मंच पर एक ऐसी शक्ति के रूप में उभरा है जिसे नज़रअंदाज़ करना किसी भी देश के लिए कठिन है। आर्थिक विकास की रफ्तार, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में सक्रिय भूमिका, रक्षा-सामर्थ्य और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उपलब्धियाँ — ये सब मिलकर भारत की वैश्विक छवि को नई ऊँचाइयों पर पहुँचा रहे हैं।

आर्थिक दृष्टि से, भारत अब विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है, और 2025 तक उसके 3.7 ट्रिलियन डॉलर से अधिक GDP तक पहुँचने का अनुमान है। IMF और World Bank की रिपोर्टों के अनुसार भारत वह एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है जो लगातार 6 % से अधिक की वृद्धि दर बनाए हुए है। ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसी योजनाओं ने न केवल घरेलू उद्योगों को गति दी है बल्कि विदेशी निवेशकों का भरोसा भी मजबूत किया है। विदेशी कंपनियाँ अब चीन के विकल्प के रूप में भारत को “मैन्युफैक्चरिंग हब” के रूप में देखने लगी हैं।

राजनयिक स्तर पर, भारत की भूमिका पहले से कहीं अधिक सक्रिय हो गई है। 2023 में G20 शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी ने भारत को एक जिम्मेदार और संतुलित नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित किया था। अब 2025 में भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की मांग को फिर से जोर-शोर से उठा रहा है। साथ ही, दक्षिण एशियाई देशों के बीच भारत एक सेतु-समान भूमिका निभा रहा है — चाहे वह श्रीलंका, भूटान और नेपाल की सहायता हो या इंडो-पैसिफिक रणनीति में सक्रिय भागीदारी।

रक्षा और रणनीतिक क्षेत्र में भी भारत का प्रभाव तेजी से बढ़ा है। स्वदेशी रक्षा उत्पादन, मिसाइल प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता और “मेक इन इंडिया डिफेंस प्रोजेक्ट्स” के ज़रिए भारत अब दुनिया के शीर्ष हथियार निर्यातकों में शामिल होने की राह पर है। भारतीय नौसेना हिंद-महासागर में मजबूत उपस्थिति बनाए हुए है, जो न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा बल्कि वैश्विक व्यापार मार्गों की स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है।

प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष के क्षेत्र में, भारत ने हाल के वर्षों में असाधारण प्रगति की है। चंद्रयान-3 और आदित्य L1 मिशन की सफलता ने भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में अग्रणी देशों की पंक्ति में ला खड़ा किया। इसके अलावा ISRO अब छोटे देशों को अपने उपग्रह प्रक्षेपण की सेवाएँ भी प्रदान कर रहा है, जिससे भारत को “स्पेस डिप्लोमेसी” के रूप में नई पहचान मिली है। तकनीकी क्षेत्र में AI, साइबर सुरक्षा, क्वांटम कम्प्यूटिंग और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में भारत अब विश्व-स्तरीय प्रतिस्पर्धा कर रहा है।

सांस्कृतिक और सॉफ्ट-पावर (Soft Power) के स्तर पर भी भारत का प्रभाव असाधारण रूप से बढ़ा है। योग, आयुर्वेद, भारतीय खान-पान, बॉलीवुड और भारतीय त्योहारों की लोकप्रियता ने वैश्विक स्तर पर भारत को एक सांस्कृतिक शक्ति के रूप में स्थापित किया है। 2025 में जब 150 से अधिक देशों में “अंतरराष्ट्रीय योग दिवस” मनाया गया, तो यह भारत की सांस्कृतिक विरासत की वैश्विक मान्यता का उदाहरण बना।

पर्यावरण नीति और वैश्विक जिम्मेदारी के क्षेत्र में भी भारत ने मिसाल कायम की है। COP28 के बाद भारत ने 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य रखा और 2030 तक 50 % ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाए। सौर ऊर्जा में भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार बन चुका है। यह भारत की प्रतिबद्धता दर्शाता है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ चल सकते हैं।

विदेश नीति में भारत अब “मध्य मार्ग” की भूमिका निभा रहा है। यूक्रेन-रूस संघर्ष, इस्राइल-फलस्तीन मुद्दे और इंडो-पैसिफिक तनाव के बीच भारत ने एक संतुलित कूटनीतिक रुख अपनाया है — जहाँ मानवीय मूल्यों और राष्ट्रीय हित दोनों का सम्मान होता है। इस “वसुधैव कुटुम्बकम्” दृष्टिकोण ने भारत को एक भरोसेमंद और शांतिप्रिय नेता के रूप में प्रस्तुत किया है।

भारतीय प्रवासी समुदाय (NRIs) भी भारत की छवि मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। अमेरिका, कनाडा, मध्य पूर्व और यूरोप में बसे भारतीय अब अपने देशों की नीति-निर्माण में प्रभावशाली स्थान रखते हैं। उनकी सफलता की कहानियाँ भारत की सॉफ्ट पावर को और अधिक विश्वसनीय बनाती हैं।

इन सबके बावजूद, भारत के सामने चुनौतियाँ भी हैं — गरीबी, शिक्षा में असमानता, स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियाँ और क्षेत्रीय असंतुलन जैसी समस्याएँ अभी भी दूर की जानी बाकी हैं। लेकिन यह भी सच है कि भारत अब इन चुनौतियों का सामना एक “उभरती ताकत” के रूप में कर रहा है, न कि “विकासशील देश” के रूप में।

निष्कर्षतः, 2025 का भारत एक ऐसे देश के रूप में उभरा है जो विश्व मंच पर अपनी आवाज़ सुनाने के साथ-साथ दूसरों की भी सुन रहा है। आर्थिक शक्ति, सांस्कृतिक मूल्य, वैज्ञानिक क्षमता और राजनयिक संतुलन — इन चार स्तंभों ने भारत को 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया है। विश्व अब भारत को सिर्फ़ एक देश नहीं, बल्कि एक “विचार” के रूप में देखने लगा है — वसुधैव कुटुम्बकम् की उस भावना के रूप में, जो पूरे विश्व को एक परिवार मानती है।

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