विज्ञापन के लिए संपर्क करें / For advertisements contact us at: editor@myyahoo.com

सरकारी ठेके या टेंडर में गड़बड़ी दिखे तो नागरिक क्या कर सकते हैं?

मोहित गौतम (दिल्ली) : देश में हर साल करोड़ों रुपये के सरकारी ठेके और टेंडर जारी किए जाते हैं — सड़क निर्माण, स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद, भवन निर्माण, बिजली, जल आपूर्ति जैसी तमाम सेवाओं के लिए। लेकिन कई बार जनता को यह लगता है कि कहीं न कहीं इसमें गड़बड़ी, पक्षपात या भ्रष्टाचार हुआ है।
ऐसे में सवाल उठता है — आम नागरिक क्या कर सकता है? क्या कोई कानूनी रास्ता है जिससे इस तरह की अनियमितताओं पर कार्रवाई हो सके?


टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता क्यों ज़रूरी है

सरकारी ठेकों और निविदाओं (Tenders) की प्रक्रिया सार्वजनिक धन से जुड़ी होती है। इसलिए Transparency, Accountability और Fair Competition बेहद ज़रूरी माने जाते हैं। भारत सरकार ने इसके लिए General Financial Rules (GFR) और Central Vigilance Commission (CVC) के दिशा-निर्देश तय किए हैं। किसी भी सरकारी विभाग या एजेंसी को टेंडर प्रक्रिया में भेदभाव, फर्जीवाड़ा या बिचौलिया सिस्टम नहीं चलाना चाहिए।


अगर गड़बड़ी दिखे तो क्या करें?

1. RTI के ज़रिए जानकारी माँगें

आप सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के तहत संबंधित विभाग से टेंडर की पूरी जानकारी माँग सकते हैं —
किसे ठेका मिला, क्या बोली लगी, कितनी राशि स्वीकृत हुई, मूल्यांकन प्रक्रिया कैसे हुई आदि।
अगर जानकारी नहीं दी जाती, तो आप प्रथम अपील (First Appeal) और फिर राज्य या केंद्रीय सूचना आयोग (SIC/CIC) में शिकायत कर सकते हैं।


2. Vigilance या Anti-Corruption Bureau में शिकायत करें

अगर आपको लगता है कि किसी अधिकारी या ठेकेदार ने भ्रष्टाचार या फर्जीवाड़ा किया है, तो सीधे Central Vigilance Commission (CVC) या राज्य सतर्कता विभाग (Vigilance Department) में शिकायत कर सकते हैं। ऑनलाइन पोर्टल: https://cvc.gov.in

3. लोकपाल या लोकायुक्त के पास जाएँ

Lokpal and Lokayuktas Act, 2013 के तहत कोई भी नागरिक सरकारी अधिकारी, मंत्री या सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है।
यह संस्था भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कर सकती है और कार्रवाई की सिफारिश कर सकती है।


4. जनहित याचिका (PIL) दायर करें

अगर मामला गंभीर है और जनता के हित से जुड़ा है, तो आप High Court या Supreme Court में Public Interest Litigation (PIL) दाखिल कर सकते हैं।
यह एक कानूनी उपाय है जिसके ज़रिए अदालतें सरकारी एजेंसियों से जवाब माँग सकती हैं।


क्या गुमनाम शिकायत संभव है?

हाँ, आप CVC के व्हिसलब्लोअर पोर्टल या Anti-Corruption हेल्पलाइन के माध्यम से गुमनाम शिकायत कर सकते हैं। लेकिन अगर आप अपना नाम देते हैं, तो जांच प्रक्रिया में आपकी शिकायत को अधिक गंभीरता से लिया जाता है।


निष्कर्ष

सरकारी धन जनता का धन है, इसलिए नागरिकों को इसकी निगरानी का पूरा अधिकार है। अगर किसी ठेके या टेंडर में गड़बड़ी नजर आए, तो सोशल मीडिया पर चर्चा करने से ज़्यादा असरदार है कानूनी प्रक्रिया अपनाना। RTI, Vigilance, Lokpal और PIL जैसे माध्यमों से हर नागरिक पारदर्शिता की मांग कर सकता है।

Popular posts from this blog

सरकारी कामकाज में पारदर्शिता का हथियार: RTI क्या है और इसे कैसे इस्तेमाल करें

गिरफ्तारी के बाद बेल कैसे लें? जानिए ज़मानत क्या है और इसकी प्रक्रिया

कानून सबके लिए: जानिए भारतीय दंड संहिता की कुछ अहम धाराएँ जो हर नागरिक को पता होनी चाहिए