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बिजली या पानी के बिल में गड़बड़ी मिले तो कानूनी तरीके से सुधार कैसे करवाएं

मोहित गौतम (दिल्ली) : अक्सर ऐसा होता है कि घर या दुकान का बिजली या पानी का बिल अचानक बहुत ज़्यादा आ जाता है, जबकि खपत सामान्य रहती है। कई बार बिल में पुराने बकायों की गलत एंट्री या मीटर रीडिंग की त्रुटि के कारण यह समस्या पैदा होती है। ऐसे में उपभोक्ता के पास कानूनी और प्रशासनिक दोनों स्तर पर अपने अधिकार सुरक्षित रखने के विकल्प मौजूद हैं।

सबसे पहले, उपभोक्ता को बिल जारी करने वाले विभाग – चाहे वह बिजली वितरण कंपनी (जैसे BSES, Tata Power, UPPCL) हो या नगर निगम का जल विभाग – से लिखित रूप में शिकायत करनी चाहिए। शिकायत में उपभोक्ता नंबर, बिल नंबर, मीटर रीडिंग की फोटो और पुरानी बिल की कॉपी संलग्न करें। यह शिकायत विभागीय उपभोक्ता सेवा केंद्र या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की जा सकती है। कई राज्यों में यह सुविधा मोबाइल ऐप के जरिए भी उपलब्ध है।

अगर विभाग निर्धारित समय सीमा में कार्रवाई नहीं करता या गलती को सुधारने से इनकार करता है, तो उपभोक्ता “विद्युत नियामक आयोग” या “राज्य उपभोक्ता आयोग” में शिकायत दर्ज करा सकता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत बिजली और पानी जैसी सेवाएँ “सेवा” की श्रेणी में आती हैं, इसलिए गलत बिलिंग को सेवा में कमी माना जाता है। इस आधार पर उपभोक्ता हर्जाने की मांग भी कर सकता है।

कुछ मामलों में मीटर की जांच आवश्यक होती है। यदि उपभोक्ता को शक है कि मीटर तेज चल रहा है, तो वह लिखित आवेदन देकर “मीटर टेस्टिंग” की मांग कर सकता है। यह जांच विभाग के अधिकृत तकनीशियन द्वारा की जाती है और रिपोर्ट की कॉपी उपभोक्ता को दी जाती है।

यदि शिकायत लंबित रहे, तो उपभोक्ता अपने क्षेत्र के लोकपाल (Electricity Ombudsman) या राज्य जल बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी से अपील कर सकता है। सभी चरणों में लिखित सबूत और पुराने बिलों का रिकॉर्ड रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यही बाद में कानूनी कार्रवाई का आधार बनते हैं।

नागरिकों को यह समझना चाहिए कि बिजली और पानी जैसी बुनियादी सेवाओं में पारदर्शिता उनका अधिकार है। गलत बिल आने पर चुप बैठने के बजाय, कानूनी रास्ता अपनाकर सही बिलिंग और न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है।

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