विज्ञापन के लिए संपर्क करें / For advertisements contact us at: editor@myyahoo.com

दहेज उत्पीड़न और IPC धारा 498A: महिलाओं के अधिकार और कानूनी प्रावधान

मोहित गौतम (दिल्ली) : भारत में दहेज प्रथा आज भी एक गंभीर सामाजिक समस्या है। दहेज के कारण न केवल महिलाओं का शोषण होता है बल्कि कई बार उनकी जान तक चली जाती है। इसी समस्या से निपटने के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) में धारा 498A को जोड़ा गया। यह धारा महिलाओं को विवाह के बाद होने वाले मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न से बचाने के लिए बनाई गई है।

IPC धारा 498A क्या कहती है?
धारा 498A के अनुसार, यदि कोई पति या उसके परिवार का सदस्य महिला को दहेज की मांग के लिए प्रताड़ित करता है या शारीरिक/मानसिक उत्पीड़न करता है, तो इसे अपराध माना जाएगा। इसके लिए दोषी को 3 साल तक की सज़ा और जुर्माना हो सकता है। यह अपराध संज्ञेय (cognizable) और गैर-जमानती (non-bailable) है, यानी पुलिस सीधे आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है और आसानी से जमानत नहीं मिलती।

कानूनी प्रक्रिया

  • पीड़िता थाने में FIR दर्ज करा सकती है।

  • मामला अदालत में जाता है, जहां साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर सुनवाई होती है।

  • दोषी साबित होने पर आरोपी को सज़ा दी जाती है।

महिलाओं के अधिकार

  • उत्पीड़न की शिकायत सीधे पुलिस थाने या महिला हेल्पलाइन (1091) पर की जा सकती है।

  • कई राज्यों में महिला प्रकोष्ठ (Mahila Thana) और Legal Aid Services मुफ्त सहायता देती हैं।

  • घरेलू हिंसा अधिनियम (Domestic Violence Act, 2005) के तहत महिला संरक्षण आदेश और सुरक्षा की मांग भी कर सकती है।

498A के दुरुपयोग की बहस
हालांकि, कई बार इस धारा के गलत इस्तेमाल की शिकायतें भी सामने आती हैं, जहां झूठे आरोप लगाकर मुकदमे दर्ज कराए जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर चिंता जताई है और कहा है कि पुलिस को विवेकपूर्ण तरीके से कार्रवाई करनी चाहिए।

निष्कर्ष
धारा 498A महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक मजबूत कानूनी हथियार है। इसका सही इस्तेमाल करके महिलाएं अपने अधिकारों की रक्षा कर सकती हैं। साथ ही, समाज में जागरूकता और न्यायपूर्ण दृष्टिकोण भी ज़रूरी है ताकि इसका दुरुपयोग न हो।

Popular posts from this blog

सरकारी कामकाज में पारदर्शिता का हथियार: RTI क्या है और इसे कैसे इस्तेमाल करें

गिरफ्तारी के बाद बेल कैसे लें? जानिए ज़मानत क्या है और इसकी प्रक्रिया

कानून सबके लिए: जानिए भारतीय दंड संहिता की कुछ अहम धाराएँ जो हर नागरिक को पता होनी चाहिए