सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आज़ादी और कानून: क्या लिखना अपराध है और क्या नहीं?
मोहित गौतम (दिल्ली) : आज के डिजिटल दौर में सोशल मीडिया हर व्यक्ति के जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। लोग अपनी राय, विचार और अनुभव साझा करते हैं। लेकिन यह ज़रूरी है कि हम समझें कि अभिव्यक्ति की आज़ादी (Freedom of Speech) का मतलब यह नहीं कि आप कुछ भी लिख सकते हैं। कानून के तहत कुछ बातें अपराध की श्रेणी में आती हैं।
क्या लिखना अपराध माना जाएगा?
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घृणा फैलाने वाली पोस्ट – किसी धर्म, जाति, वर्ग या समुदाय के खिलाफ नफरत भड़काने वाली पोस्ट करना अपराध है।
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फेक न्यूज और अफवाह – झूठी खबरें या अफवाह फैलाकर दहशत पैदा करना IT Act और IPC दोनों के तहत दंडनीय है।
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मानहानि (Defamation) – किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने वाली झूठी जानकारी पोस्ट करना कानूनी अपराध है।
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अश्लील या अपमानजनक सामग्री – अश्लील तस्वीरें/वीडियो शेयर करना या किसी को गाली-गलौच करना आईटी एक्ट के तहत दंडनीय है।
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राज्य विरोधी या देशद्रोही पोस्ट – ऐसी पोस्ट जो देश की अखंडता और सुरक्षा के खिलाफ हो, गंभीर अपराध मानी जाती है।
किन बातों पर आपको अधिकार है?
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आप सरकार की नीतियों पर आलोचना कर सकते हैं, बशर्ते वह तथ्यात्मक और मर्यादित भाषा में हो।
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अपनी राय, अनुभव और निजी विचार साझा करना पूरी तरह वैध है, यदि उनमें किसी को उकसाने या अपमानित करने वाली भाषा न हो।
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संविधान अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत हर नागरिक को अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार है, लेकिन यह संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत कुछ प्रतिबंधों के अधीन है।
क्यों ज़रूरी है सतर्क रहना?
सोशल मीडिया पर लिखी एक लाइन कई बार कानूनी मुसीबत खड़ी कर सकती है। इसलिए पोस्ट करने से पहले यह सोचना ज़रूरी है कि आपका कंटेंट कानून और समाज के दायरे में है या नहीं।