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पासपोर्ट और पुलिस वेरिफिकेशन: आम जनता को क्या जानकारी होनी चाहिए?

मोहित गौतम (दिल्ली) : भारत में पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया अब काफी सरल हो चुकी है, लेकिन पुलिस वेरिफिकेशन अभी भी एक अहम चरण है। ज़्यादातर लोगों को इसी चरण में देरी या परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यह जानना ज़रूरी है कि पुलिस वेरिफिकेशन क्या है और इसमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

पुलिस वेरिफिकेशन क्यों ज़रूरी है?

पासपोर्ट अंतरराष्ट्रीय यात्रा का आधिकारिक दस्तावेज़ है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आवेदक के खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित न हो और उसकी पहचान सही है, पुलिस वेरिफिकेशन कराया जाता है।

प्रक्रिया कैसे होती है?

  1. ऑनलाइन आवेदन के बाद – पासपोर्ट सेवा केंद्र से आपकी जानकारी संबंधित जिले की पुलिस को भेजी जाती है।

  2. पुलिस घर पर आती है – वे आपके पते और पहचान की पुष्टि करते हैं।

  3. दस्तावेज़ चेक – आधार कार्ड, वोटर आईडी, बिजली बिल या किरायानामा जैसे पते का प्रमाण मांगा जा सकता है।

  4. रिपोर्ट तैयार – पुलिस अपनी रिपोर्ट पासपोर्ट कार्यालय भेजती है।

आम जनता को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

  • सभी दस्तावेज़ सही और वैध हों।

  • आवेदन में दिए गए पते पर उपलब्ध रहें।

  • पुलिस से सहयोग करें और किसी तरह की गलत जानकारी न दें।

  • अगर आप किराए के मकान में रहते हैं तो मकान मालिक से नो-ऑब्जेक्शन या किरायानामा साथ रखें।

कब पासपोर्ट वेरिफिकेशन में दिक़्क़त आती है?

  • गलत पता या अधूरी जानकारी देने पर।

  • पुराने आपराधिक मामले छिपाने पर।

  • दस्तावेज़ों में असंगति होने पर।

निष्कर्ष

पासपोर्ट प्रक्रिया पारदर्शी और तेज़ है, बशर्ते आप सही दस्तावेज़ और जानकारी प्रस्तुत करें। पुलिस वेरिफिकेशन में सहयोग करने से पासपोर्ट आसानी से मिल सकता है।

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