आम जनता के अधिकार और पुलिस की ज़िम्मेदारियाँ
मोहित गौतम (दिल्ली) : भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में जनता और पुलिस का रिश्ता बहुत अहम है। पुलिस व्यवस्था का मूल उद्देश्य जनता की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था बनाए रखना और अपराधों पर रोक लगाना है। वहीं आम जनता के भी कई ऐसे अधिकार हैं, जिनकी जानकारी होना ज़रूरी है ताकि किसी भी स्थिति में अपने हक़ की रक्षा की जा सके।
सबसे पहले बात करें अधिकारों की। हर नागरिक को यह अधिकार है कि उसकी शिकायत पर पुलिस तुरंत कार्रवाई करे और FIR दर्ज करे। यदि कोई पुलिसकर्मी FIR लिखने से मना करता है, तो नागरिक को Zero FIR दर्ज कराने का अधिकार है। इसके अलावा, गिरफ्तारी की स्थिति में नागरिक को कारण बताने, वकील से मिलने और परिवार को सूचना देने का अधिकार है। यातायात नियमों के मामले में भी, पुलिस मनमाने ढंग से चालान नहीं काट सकती, उसे मोटर वाहन अधिनियम की धाराओं का पालन करना होता है।
दूसरी ओर, पुलिस की ज़िम्मेदारी है कि वह हर नागरिक से सम्मानजनक व्यवहार करे और शिकायत पर निष्पक्ष जांच करे। पुलिसकर्मी को किसी भी तरह का दबाव डालकर बयान दर्ज नहीं करना चाहिए और न ही किसी नागरिक को अनावश्यक रूप से हिरासत में रखना चाहिए। पुलिस का दायित्व यह भी है कि सड़क सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण और अपराध रोकथाम में सक्रिय भूमिका निभाए।
स्पष्ट है कि जनता और पुलिस के बीच संतुलन और विश्वास तभी कायम हो सकता है, जब दोनों अपने-अपने अधिकार और ज़िम्मेदारियाँ समझें। जनता यदि अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहे और पुलिस अपनी कानूनी ज़िम्मेदारियों का पालन करे, तो कानून-व्यवस्था मजबूत होगी और समाज सुरक्षित महसूस करेगा।