मासूमियत की हिफाज़त के लिए बना सख़्त क़ानून: क्या है POCSO Act और बच्चों को कैसे देता है सुरक्षा
मोहित गौतम (दिल्ली) : भारत में बच्चों के खिलाफ यौन अपराध के मामले चिंताजनक रूप से बढ़ते जा रहे हैं। इसी गंभीर चुनौती से निपटने के लिए साल 2012 में लागू किया गया Protection of Children from Sexual Offences Act यानी POCSO Act। यह कानून बच्चों को शारीरिक और मानसिक शोषण से बचाने के लिए बेहद सख़्त और व्यापक प्रावधान देता है।
⚖️ POCSO Act क्या है?
🔒 बच्चों की सुरक्षा के लिए क्या प्रावधान हैं?
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बच्चे की पहचान गुप्त रखना अनिवार्य।
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पुलिस और कोर्ट की कार्रवाई बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए होनी चाहिए।
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स्पेशल कोर्ट में तेजी से सुनवाई और 1 साल के भीतर फैसला देने की कोशिश।
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दोषी को कम से कम 3 साल से लेकर उम्रकैद तक की सज़ा, अपराध की गंभीरता के आधार पर।
📞 शिकायत कहाँ करें?
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सबसे पहले नज़दीकी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करें।
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बच्चा नाबालिग है, यह बताना ज़रूरी है – पुलिस को तुरंत मामला POCSO Act के तहत लेना होगा।
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चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर भी संपर्क किया जा सकता है।
⚠️ झूठी शिकायत पर भी सज़ा
POCSO Act में झूठी शिकायत या सबूत गढ़ने पर भी सज़ा का प्रावधान है, ताकि क़ानून का दुरुपयोग न हो।
🧠 बच्चों को जागरूक करना भी ज़रूरी
विशेषज्ञ मानते हैं कि स्कूलों, परिवार और समाज में बच्चों को “गुड टच, बैड टच”, निजी अंगों की सुरक्षा, और किसी भी घटना को तुरंत बताने की शिक्षा देना भी बेहद ज़रूरी है।
✅ निष्कर्ष
POCSO Act सिर्फ क़ानूनी ढाल नहीं, बल्कि समाज को यह संदेश देता है कि बच्चों की सुरक्षा सबसे ऊपर है। हर नागरिक की ज़िम्मेदारी है कि वह बच्चों की आवाज़ सुने और उनका साथ दे।