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बुजुर्गों की इज्ज़त और सुरक्षा के लिए बना कानून: क्या है Maintenance and Welfare of Parents Act?

मोहित गौतम (दिल्ली) : परिवार में अक्सर ऐसा भी होता है जब उम्र के आख़िरी पड़ाव पर माता‑पिता या बुजुर्गों को अपने ही बच्चों से आर्थिक मदद या सम्मान पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इन्हीं हालात को देखते हुए साल 2007 में लागू किया गया Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act। यह कानून बुजुर्गों को अपने बच्चों से भरण‑पोषण पाने का कानूनी हक़ देता है।


⚖️ कानून क्या कहता है?

  • हर वयस्क संतान (चाहे बेटा हो या बेटी) अपने माता‑पिता या 60 साल से ज़्यादा उम्र के बुजुर्ग रिश्तेदार का भरण‑पोषण करने के लिए क़ानूनन ज़िम्मेदार है।

  • बुजुर्ग माता‑पिता या दादा‑दादी, नाना‑नानी, चाहे उन्होंने संपत्ति छोड़ी हो या नहीं – सभी इस कानून के तहत अधिकार रखते हैं।

  • संतान या वारिस अगर देखभाल से इनकार करें, तो बुजुर्ग SDM (Sub‑Divisional Magistrate) के सामने आवेदन देकर भरण‑पोषण की मांग कर सकते हैं।


📝 कितना भरण‑पोषण मिल सकता है?

  • कोर्ट हर महीने अधिकतम ₹10,000 तक भरण‑पोषण देने का आदेश दे सकती है, परिस्थितियों के हिसाब से यह बढ़ भी सकता है।

  • यह राशि बुजुर्ग की ज़रूरत और संतान की आय देखकर तय की जाती है।


⚠️ संपत्ति के हक़ पर भी प्रावधान

अगर बुजुर्ग ने अपनी संपत्ति संतान या किसी व्यक्ति को इस शर्त पर दी हो कि वह उनकी देखभाल करेगा और वह ऐसा नहीं करता – तो बुजुर्ग संपत्ति वापस ले सकते हैं।


फैसला जल्दी

  • कानून में कोशिश की जाती है कि 90 दिनों में मामला निपट जाए, ताकि बुजुर्गों को लंबा इंतज़ार न करना पड़े।


📞 कहाँ करें शिकायत?

  • SDM/DM के सामने आवेदन करें।

  • राज्य स्तर पर बने “Maintenance Tribunal” में भी मामला दर्ज कराया जा सकता है।

  • कई राज्यों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए हेल्पलाइन भी उपलब्ध है।


निष्कर्ष

यह कानून बुजुर्गों के लिए सिर्फ कानूनी सहारा नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश है कि माता‑पिता और बुजुर्गों का सम्मान और देखभाल सिर्फ नैतिक ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि कानूनी बाध्यता भी है।

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