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अपराध हुआ? घबराएँ नहीं, जानिए FIR क्या है और इसे दर्ज कराने की आसान प्रक्रिया

मोहित गौतम (दिल्ली) : अक्सर किसी अपराध का शिकार होने पर लोग सबसे पहले यही सोचते हैं कि एफआईआर कैसे कराएँ? कई बार जानकारी के अभाव में लोग पुलिस थाने के चक्कर काटते हैं या डर के कारण शिकायत दर्ज ही नहीं करा पाते। जानकारों का कहना है कि FIR दर्ज कराना हर नागरिक का कानूनी हक है और प्रक्रिया भी बहुत जटिल नहीं है।


📄 FIR क्या है?

FIR का पूरा नाम है First Information Report यानी ‘प्रथम सूचना रिपोर्ट’। किसी संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) की पहली आधिकारिक सूचना जो पुलिस के पास दर्ज होती है, उसे ही FIR कहा जाता है।
यह आपराधिक न्याय प्रक्रिया की पहली और सबसे ज़रूरी कड़ी है।


🏢 FIR दर्ज कराने की प्रक्रिया

  • थाने जाएँ: जिस क्षेत्र में अपराध हुआ है, उस इलाके के पुलिस स्टेशन में जाएँ।

  • शिकायत लिखवाएँ: घटना की पूरी जानकारी साफ‑साफ बताएँ; पुलिसकर्मी उसे लिखकर रिपोर्ट तैयार करता है।

  • पढ़कर जाँचें: रिपोर्ट पढ़ें और अगर कुछ गलती हो, तो तुरंत सही कराएँ।

  • हस्ताक्षर करें: अपनी शिकायत पर साइन करें।

  • कॉपी लें: FIR की एक फ्री कॉपी आपको मिलनी चाहिए — ये आपका कानूनी अधिकार है।


📱 ऑनलाइन FIR भी संभव

आजकल कई राज्यों में ई‑FIR की सुविधा भी उपलब्ध है, खासकर वाहन चोरी जैसे मामलों में। राज्य पुलिस की वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर जाकर शिकायत दर्ज की जा सकती है।


⚠️ पुलिस FIR दर्ज करने से मना करे तो क्या करें?

  • पुलिस अगर FIR लेने से मना करे, तो आप:

    • उच्च अधिकारी (SP/DSP) को लिखित शिकायत दें

    • मजिस्ट्रेट के पास भी आवेदन दे सकते हैं (धारा 156(3) CrPC)

  • FIR दर्ज करना पुलिस की कानूनी ज़िम्मेदारी है; संज्ञेय अपराध में पुलिस मना नहीं कर सकती।


निष्कर्ष

FIR किसी भी अपराध की जाँच की शुरुआत है और हर नागरिक का हक भी। अपराध का शिकार हों या गवाह, तुरंत FIR दर्ज कराएँ — यही न्याय की पहली सीढ़ी है।

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